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अन्तिम सन्देश ( story)






अन्तिम सन्देश ( story)

मुहम्मद साहब का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा था। अतः जुमे के दिन मस्जिद में नमाज पढ़ाने के लिए उन्होंने अबुबक्र को भेज दिया। अबुबक्र को नमाज पढ़ाते देख लोगों में सनसनी फैल गई और कितने ही लोगों को यह विश्वास हो गया कि पैगम्बर अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके पास खबर पहुँची, तो वे अली और फजल के कन्धों पर हाथ रखे मस्जिद आये और लोगों से कहा- ‘मुझे अभी पता चला कि अपने पैगम्बर की मृत्यु का समाचार सुनकर आप लोग घबरा गये। मृत्यु तो निश्चित है, उसका समय टाला नहीं जा सकता। जिसने मुझे इस संसार में भेजा था, मैं उसी के पास फिर जा रहा हूँ। मेरी अन्तिम प्रार्थना आप सब से यही है कि प्रेम से रहना, एक दूसरे का सम्मान करना और अच्छे कार्यों में अवश्य सहायता देते रहना। अच्छे कार्य करने में यदि किसी के पैर डगमगाते हों, तो अवश्य हिम्मत दिलाकर आगे बढ़ाने का प्रयत्न करते रहना, यही मार्ग सच्चा धर्म है- अन्य रास्तों पर चलकर तो व्यक्ति अपनी बरबादी स्वयं करता है।’

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